डिस्कस थ्रोयर कमलप्रीत कौर ने ‘सच कहूँ’ से की खास बातचीत

Discus thrower Kamalpreet Kaur

मैडल न सही लेकिन विश्वास के साथ लौटी कमलप्रीत कौर को भविष्य में काफी उम्मीदें

सच कहूँ/सुखजीत मान
बठिंडा। टोक्यो ओलम्पिक खेल दौरान डिस्कस थ्रो मुकाबलों में चाहे भारतीय एथलीट कमलप्रीत कौर 6वें स्थान पर रह गई परन्तु पहली बार विश्व स्तरीय इवेंट में हिस्सा लेकर पहले 6वें स्थान पर आना भी बड़ी उपलब्धि है। मुकाबले के बाद ओलम्पियन कमलप्रीत कौर का देश लौटने पर स्नेहपूर्ण स्वागत किया जा रहा है। शनिवार को बठिंडा पहुंची कमलप्रीत कौर का जिला खेल अधिकारी प्रमिन्दर सिंह, अलग-अलग खेलों के प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों की ओर से स्नेहपूर्ण स्वागत किया गया। इस मौके कमलप्रीत कौर ने ‘सच कहूँ’ के साथ की विशेष बातचीत के पेश हैं उसके कुछ मुख्य अंश:

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सवाल: कमलप्रीत, आप ओलम्पिक में छटे स्थान पर रह गए और मैडल से रह गए परन्तु आपने भारतियों के दिल को जीता है, इस उपलब्धि को कैसे मानते हो?

जवाब: किसी का दिल जीतना सबसे बड़ा मान -सम्मान होता है। हालांकि मुझे मैडल नहीं मिला परन्तु बहुत से लोगों की उम्मीद जीती कि आने वाले समय में मैडल लेकर और बेहतर प्रदर्शन करूं।

सवाल: जिस समय आपका मुकाबला चल रहा था, उस समय पर बारिश हुई। इस बारिश का प्रभाव आपके प्रदर्शन पर भी पड़ा?

जवाब: ओलम्पिक का दबाव तो पहले ही होता है और मौसम ने भी साथ नहीं दिया, बारिश के कारण काफी नुक्सान हुआ।

सवाल: जिस क्षेत्र के आप जंमपल हो, खासकर अपनी मालवा पट्टी की बात करें, जहां कुछ लोग लड़कियों को जन्म देना ही बेहतर नहीं समझते परन्तु आपने विश्व स्तरीय मुकाबलों में हिस्सा लिया, ऐसे माता-पिता को क्या संदेश देना चाहेंगे?

जवाब: सबसे पहले तो यही संदेश है कि लड़कियां किसी से कम नहीं, दूसरा लड़कियां अपना लक्ष्य तयकर अपने माता-पिता को बताएं कि वह यह बनना चाहतीं हैं। मैं भी एक ऐसे गांव से हूं, जहां किसी को खेल के बारे में कुछ पता नहीं था परन्तु मन में अपना लक्ष्य तय कर चली थी, धीरे -धीरे वह पूरा हो रहा है।

सवाल: कोई समय था जब आपकी तनख़्वाह ही जूतों पर खर्च हो जाती थी, जैसे -जैसे आपने अपने खेल को चमकाया तो पंजाब सरकार ने भी मदद की, परन्तु आपको नहीं लगता कि यदि मदद पहले होती तो उसका प्रभाव प्रदर्शन पर भी पड़ता?

जवाब: बिल्कुल जी, मैं भी सरकार को यही कहना चाहती हूं कि जमीनी स्तर से काम शुरू किया जाये, गांवों में खेल मैदान बनाएं जाएं, अपने प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस जमीनी स्तर पर काम कम है। गांवों में प्रशिक्षक भेजे जाएं, जो बच्चों को जागरूक करें।

सवाल: आप विश्व स्तरीय इवेंट में पहुँचे, बहुत से देशों के खिलाड़ियों के मुकाबलों को देखकर क्या लगा कि हमने उनसे किस स्तर में मार खा गए?

जवाब: वह अपने से तकनीकी स्तर पर खुराक प्लाने में बहुत आगे हैं। इन चीजों में हम अभी थोड़े -थोड़े पीछे हैं, यदि इनमें आगे हों तो अपने ओलम्पिक में मैडल बहुत से आ जाएं।

सवाल: आपके अब अगले मुकाबलें क्या हैं?

जवाब: अगले मुकाबलों में अब विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेलों के अलावा कामनवैल्थ अगले साल ही हैं।

सवाल: भविष्य के मुकाबलों के लिए ‘सच-कहूँ’ की तरफ से आपको ‘बहुत-बहुत शुभकामनाएं’

जवाब: धन्यवाद (मुस्कुराते हुए)

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