लोकतंत्र के प्रति मतदाताओं की आस्था बढ़ी है लेकिन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने निराश किया है: नायडु

Gender Discrimination

नयी दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडु ने सदस्यों ने बजट सत्र में बेहतर उत्पादकता में सहयोग करने की अपील करते हुये आज कहा कि वर्ष 1951-52 के आम चुनाव की तुलना में वर्ष 2019 के चुनाव में लोकतंत्र के प्रति मतदाताओं की आस्था बढ़ी है जबकि इस दौरान निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली में गिरावट आयी है। नायडु ने बजट सत्र के पहले चरण में आज सदन की कार्यवाही शुरू होने पर अपने संबोधन में सदस्यों से बजट सत्र में बेहतर उत्पादकता देने में सहयोग करने की अपील करते हुये कहा कि पिछले बजट सत्र में सदन की उत्पादकता 94 प्रतिशत रही थी। उन्होंने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और आजादी के बाद चुनाव का 70वां वर्ष चल रहा है।

उन्होंने बजट सत्र के महत्व को रेखांकित करते हुये सभी दलों एवं सदस्यों से बेहतर उत्पादकता में सहयोग करने की अपील की और कहा कि पिछले बजट सत्र में हमारी उत्पादकता 93.50 प्रतिशत रही थी। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हुये पहले आम चुनाव में 45 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था जो वर्ष 2019 के चुनाव में 50 प्रतिशत बढ़कर 67 प्रतिशत पर पहुंच गया। इससे पता चलता है कि लोकतंत्र के प्रति मतदाताओं की आस्था बढ़ी है जबकि इस दौरान विधायिका और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली में गिरावट आयी है।

उन्होंने देश के पांच हजार सांसदों, विधायकों और विधान पार्षदों से मतदाताओं की तरह ही लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में काम करने की अपील करते हुये कहा कि ऐसे काम किये जाने चाहिए जिससे आम लोगों का विश्वास संसदीय लोकतंत्र के प्रति और मजबूत हो। उन्होंने कहा कि यह बजट सत्र ऐसे में हो रहा जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने सदस्यों से अपील की कि लोगों ने जिस स्वराज को लड़कर और जीत कर हासिल किया था वह जज्बा हमें सदन की कार्यवाही में दौरान भी दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र में सदन का 52.10 प्रतिशत समय और मानसून सत्र में 70 प्रतिशत से अधिक समय बर्वाद हुआ था। उन्होंने कहा कि यह तरह का रूख बहुत ही निराशाजनक है।

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