गुजरात में देश के सरदार वल्लभ का जन्म

National Unity Day
'भारत के लौह पुरुष' की ‘छाया’ में कैसे एक सोए हुए गांव का चेहरा बदल गया?

वल्लभ भाई पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहते हैं और सरदार भी। 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में उनका जन्म हुआ था और उन्होंने अंतिम सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली। सरदार पटेल का जन्म किसान परिवार में हुआ, लेकिन उन्हें कूटनीतिक क्षमताओं के लिए जाना जाता है। आजाद भारत को एकजुट करने का श्रेय पटेल की सियासी और कूटनीतिक क्षमता को ही दिया जाता है।
आज 10वीं की परीक्षा आम तौर पर 16 साल की उम्र में पास हो जाती है, लेकिन सरदार पटेल ने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की। परिवार में आर्थिक तंगी थी और इस वजह से वे कॉलेज जाने के बजाय जिलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी में जुट गए। सबसे ज्यादा अंक भी हासिल किए। 36 साल की उम्र में वल्लभ भाई वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए। कॉलेज का अनुभव नहीं था, फिर भी 36 महीने का कोर्स सिर्फ 30 महीने में पूरा किया।
देश आजाद हुआ, तब पटेल प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार थे, लेकिन उन्होंने नेहरू के लिए यह पद छोड़ दिया। खुद उप-प्रधानमंत्री बने और ऐसा काम किया कि सदियों तक याद रखे जाएंगे। उन्होंने पाकिस्तान में जाने का मन बना रही जूनागढ़ और हैदराबाद रियासतों को कूटनीति से भारत में ही रोक लिया। जम्मू-कश्मीर आज भारत में है, तो उसका श्रेय भी कुछ हद तक पटेल को जाता है।
गुजरात के सरदार सरोवर डैम के पास दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति- स्टेच्यू आॅफ यूनिटी है, जो सरदार पटेल की याद में बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को स्टेच्यू आॅफ यूनिटी को लॉन्च किया था।

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