कंधार में चीन भारत के खिलाफ रच रहा है साजिश, चीनी दूत और जैश कमांडर ने तालिबान से की बैठक

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नई दिल्ली (एजेंसी)। एक तरफ अफगानिस्तान में तालिबान के खौफ से लोग डरे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ चीन भी भारत को लेकर अलग-अलग हथकंड़े अपनाता रहता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में चीनी राजदूत वांग यू और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर ने कंधार में तालिबान नेतृत्व से मुलाकात की है और सुन्नी पश्तून इस्लामवादियों यानी तालिबानियों को बधाई भी दी है। सूत्रों के अनुसार, बताया जा रहा है कि दोनों ने तालिबान नेतृत्स से अलग-अलग गुपचुप मीटिंग की है। मुल्ला बिरादर अफगानिस्तान में है और मीडिया रिपोर्ट के मानें तो अफगानिस्तान के राष्टÑपति के रूप में तालिबान की ओर से प्रबल दावेदार माना जा रहा है।

भारत को क्यों है खतरा?

गौरतलब हैं कि मुप्ती रऊफ आतंकी मसूद अजहर का भाई है, जो भारत में कई आतंकी हमलों के लिए मोस्ट वांटेड है। जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर 1994 में श्रीनगर से गिरफ्तार होने से पहले खोस्त में हरकत-उल-अंसार आतंकी प्रशिक्षण शिविर में देवबंदी विचारक था। कंधार विमान हाईजैक कांड में रिहा होने के बाद अजहर ने जैश का गठन किया था। दिसंबर 1999 में मसूद अजहर को रिहा करवाने में तालिबान ने मदद की थी।

दो अफगानी महिला समाचार एंकरों को तालिबान ने काम करने से रोका : आईएफजे

इंटरनेशनल फेडरेशन आॅफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) ने कहा कि रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान (आरटीए) की महिला एंकर खदीजा अमीन और शबनम डावरान को तालिबान के समर्थन से आरटीए के नए निदेशक द्वारा धमकाया गया और उनको काम करने से रोक दिया गया है। आईएफजे ने एक बयान में कहा, ‘तालिबान के देश पर कब्जा करने के बाद देश में डर का माहौल है। महिला मीडियाकर्मियों को काम करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें भी संरक्षित किया जाना चाहिए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। सुश्री डावरान ने एक बयान में कहा,‘दुर्भाग्य से मुझे अपना आईडी बैज ले जाने के बावजूद अंदर नहीं जाने दिया गया। पुरुष कार्यकर्ताओं को अनुमति दी गयी लेकिन मुझे धमकी दी गई। वहीं सुश्री खदीजा ने आशंका जतायी कि 20 साल की सामाजिक उपलब्धियां अब खो जाएंगी, क्योंकि तालिबान पिछली बार 2001 में सत्ता में आने के बाद से नहीं बदले हैं। इससे पहले तालिबान ने दावा किया था कि वे महिलाओं को अध्ययन और काम करने की अनुमति देंगे, हालांकि इसके बावजूद अफगानी महिलाएं अपने भविष्य के लिए संशकित और भयभीत भी हैं।

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