तेरे खत के दीवाने शहर में लाखों हैं ….चिट्ठी आई है

Saint Dr. MSG All Letters

एक चिट्ठी किसी एक शहर से चली और पते पर पहुंचते ही सबको पता चल गया चिट्ठी आई है। अल्फाजों की कशिश,शब्दों की मोहब्बत,अक्षरों के आकर्षण का क्या कहना? बिना मजबून भापे ही भगदड़ मच गई ये जानने के लिए मेरे लिए क्या लिखा है? मुझसे क्या कहा? कैसे हैं? कब आएंगे ? इस सवाल पर कदम ठिठक जाते हैं, धड़कने ठहर जाती हैं, आंखें छलक जाती हैं। लाखों का हुजूम चिट्ठी का पैगाम जानने जिस दिशा से आवाज आई थी आ गई चिट्ठी चल पड़ते हैं जैसे है जिस हाल में है कोई पैदल, कोई बस से, कोई कार, मोटरसाइकिल जो साधन मिला साधना के धाम चिट्ठी का पैगाम जानने की चाह में बढ़ चले।

चिट्ठी एक लिखने वाला एक,सुनाने वाला भी एक सुनने वाले लाखों, चाहने वाले करोड़ों दीवानगी ऐसी कि शहर छोटा पड़ गया इस चिट्ठी के दीवानों से दर छोटा पड़ गया और कारवां बढ़ता ही रहा। सबके जुबां पर बस इतना पीर की चिट्ठी आई है पीर भी आएंगे। यह महज कोरी कल्पना भर नहीं शब्दों की चासनी में सिमटा एक सुनहरा जाल नहीं। संतो की नगरी सिरसा की सरजमी से उठा सच का गुबार है जहां लाखों को इंतजार है चिट्ठी लिखने वाले का। 23 सितंबर को 32 साल पहले डेरा सच्चा सौदा सिरसा की गद्दी पर अपने जिगर के टुकड़े को अपने जैसा बना शाह सतनाम जी ने जब गुरु गद्दी पर बिठाया तब कहा था “हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे” इसी शुभ दिन दूर सुनारिया से राम रहीम सिंह इंसा ने अपने करोड़ों भक्तों के नाम लिफाफे में कैद एक संदेश भेजा। इन शब्दों की महक, जादू, जलवा क्या कहूं कि सिरसा की ओर आने वाली सड़कें, राह, डगर बेकरार दीवानो के बेकरारी की गवाह बन सिमट गई। मिलो मील लम्बा जाम लग गया एक शहर से दूसरे शहर पहुंच गुरु का खत सुनने की तड़प ने सिरसा में सिरों की सुनामी बहा दी।

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पांच साल से ज्यादा समय गुजर गए राम रहीम जी को सिरसा सत्संग किये, संगत से रूबरू हुए, संगत से मिले। विरोधी लोग जोर लगा लगा के तलैया पीट पीट कर कहते थे की अब डेरा में न कभी रौनक लौटेगी और ना ही कभी संगत। आखिर कितने दिन भक्त इंतजार करेंगे ? आखिर कब तक भक्ति के उफान को जिंदा रखेंगे? कब तक भावनाओं के तूफान पर नियंत्रण रखेंगे? इन सभी सवालों का जबाब दिया डेरा सच्चा सौदा के पंडाल में एकत्र हुए भक्तों के हुजूम ने। मौन जबाब जो ज्यादा दूर तक सुनाई दिया जबाब साफ थाआखिरी साँस तक,आखिरी पल तक गुरु के रहेंगे,आखिरी आश गुरु से रखेंगे इस दर के सिवा कोई ठिकाना नहीं मेरे गुरु के सिवा कोई आसरा नहीं। इन भक्तो को भरोसा है कि वह पल भी आएगा जब सिरसा में सत्संग होगा, नाम की दात, जाम की सौगात मिलेगी।

डेरा सच्चा सौदा उमड़ी भक्तों की भीड़ ने जहां विरोधियों को धराशाही कर दिया। वहीं नेताओ के टोले में हरियाणा राजस्थान में होने वाले चुनाव पर पड़ने वाले डेरा भक्तों के निर्णायक मतों के आकलन का मंथन भी शुरू करा दिया। नेताओं ने डेरा में नुमाइंदे भेज टोह ली संगत की संख्या का आकलन लिया तो वही सरकार ने तैनात मुलाजिमों से रिपोर्ट तलब कर भीड़ का अंदाजा लगाया। राजनैतिक जोड़ घटा वो करे कुर्सी जिनका खेला है। भक्तों में तो सिर्फ इस बात की फिक्र और जिक्र रही कि उनके मुर्शिद उनके गुरु कब आएंगे? सजा संवरा डेरा सच्चा सौदा का आंगन जब छोटा पड़ गया तो शहर की सड़कों पर खड़े हो भक्तों ने गुरु जी का वीडियो प्रवचन सुना, चिट्ठी का एक-एक शब्द ना सिर्फ ध्यान से सुनो बल्कि बाहें उठा प्रतिज्ञा ली की एकता के इस महासागर में भेदभाव की किसी लहर को कभी उठने नहीं देंगे। 142 मानवता भलाई के काम जोर से जोर शोर से करते रहेंगे, समाज की सेवा को कि जो राह संत राम रहीम सिंह इंसा में दिखाइ है उस राह से तिल भर भी ना भटकेगे, सदा बढ़ते ही रहेंगे, चलते ही रहेंगे।

इस विशेष आयोजन में पत्रकारों के आकर्षण का केंद्र रही राम रहीम सिंह इंसा की दत्तक पुत्री हनीप्रीत इंसा जिन्होंने अपने गुरु के आदेश पर 132 गरीब परिवारों को 1 माह का राशन बांटा साथ ही साथी मिशन के तहत 25 से अधिक विकलांग भाई बहनों को ट्राई साइकिल की सौगात दे उनके जीवन की राह को आसान बनाया। लाखों की संगत को कुछ पल में प्रसाद और लंगर बांट सेवादारों ने पंडाल को महका दिया। डेरा सच्चा सौद में गुरु की आस्था का उफान, भक्ति की आंधी का झोंका झकझोर रहा था उन सबको जो डेरा सच्चा सौदा इतिहास बता फूले नहीं समा रहे थे। धीरज, ध्यान, धर्म की सीख देने वाला डेरा सच्चा सौदा में उत्साह,उमंग,उल्लास से सराबोर उमड़ा भक्तों का मेला गुरु के प्रति समर्पण समाज के सहयोग की धारणा का संदेश दे रहा है।

देश प्रदेश विदेश में भी आपदा में राहत बन सदा वरदान साबित होती रही है गुरु भक्तो की ये टोली। बाढ़, भूकंप, सूखा,महामारी हो या फिर दरिया को बांधने की जिद, या फिर आग में जलते घरों से मासूमों की बचाने की ललक ऐसा जुनू से भरे सेवादारों का जज्बा सदा सुर्खिया बटोरता रहा है। सेवा हमारा धर्म है,सेवा हमारा कर्म है का मूल मंत्र और खून में बिन जाने ना देंगे जिंदगी की प्रतिज्ञा ले लाखों बुझती जिंदगी का सहारा बन चमक रही है डेरा सच्चा सौदा की सेवादारों की अनमोल निष्काम सेवा। चमक इतनी ही नही बस चमक की चर्चा तो यह भी है कि एक खत पल भर में लाखों को जोड़ देता है। चिट्ठी सुनने जुटा भक्तों का जनसैलाब बिना बोले ही भक्ति, शक्ति ,साहस, प्यार, एतबार की जो पूरी कहानी चिट्ठी सुनने के बाद सुना गया वह कभी भी कही भी पहले नही हुआ होगा।

मेरीआंखों ने जो नज़ारा देखा उस पर यकीन करना आसान नहीं था। गुरु गद्दी पर राम रहीम सिंह इंसा के दर्शन किए भक्तों को बेशक बरसों बीत गए लेकिन आस्था की डोर पहले से भी ज्यादा मजबूत पहले से भी ज्यादा असरदार पर पहले से भी ज्यादा समर्पित महसूस हुई। क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या जवान भक्तों के कारवां में हर कोई शुमार था जिसमें रहमत,जिसने प्यार,जिसने जिंदगी जीने का मकसदडेरा सच्चा सौदा के दर से पाया है। कमाल है ना एक चिट्ठी सुनने जहां लाखों लाख बिन बुलाए उमड़ पडते हैं इन मस्तानो दीवानों गुरु भक्तो के प्यार, गुरु के प्रति चाहत,गुरु के प्रति समर्पण, को क्या किसी शब्दों के दायरे में बांधा जा सकता है।

-पण्डित संदीप


पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की सभी चिट्ठी एक साथ

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