फौजी ‘सुखदेव सिंह इन्सां’ की मृत देह यूपी के मुज्जफरनगर नगर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को दान

Dead body of soldier 'Sukhdev Singh Insan' sachkahoon

जीते जी देशसेवा और मरणोपरांत समाजसेवा…

  • 16 वर्ष तक की थी आर्मी में रहकर देशसेवा

  • शाह सतनाम जी ग्रीन-एस वैल्फेयर फोर्स के जवानों ने सैल्यूट के साथ किया रवाना

सच कहूँ/राजू, ओढां। 16 वर्ष तक आर्मी में रहकर देशसेवा की और मरणोपरांत भी ऐसी समाजसेवा कर गए, जिसके लिए सेवानिवृत फौजी सुखदेव सिंह इन्सां को हमेशा याद रखा जाएगा। शाह सतनाम जी ग्रीन-एस वैल्फेयर फोर्स विंग के जवानों ने फौजी को सैल्यूट व इलाही नारे के साथ अंतिम विदाई दी। ब्लॉक श्री जलालआणा साहिब के गांव सिंघपुरा निवासी सेवानिवृत फौजी 66 वर्षीय सुखदेव सिंह इन्सां रविवार अलसुबह सचखंड जा विराजे। सुखदेव इन्सां ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से नाम शब्द लिया हुआ था। उन्होंने पूज्य गुरू जी की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए शपथ पत्र भर ये प्रण लिया था कि उसके मरणोपरांत उसकी देह इंसानियत हित में मेडिकल शोध हेतू दान की जाए। रविवार को उनकी मृत देह यूपी के मुज्जफरनगर नगर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को दान कर दी गई।

सचखंडवासी को अंतिम विदाई देने हेतू ब्लॉक के अलावा साथ लगते पंजाब के ब्लॉक तलवंडी साबो से भी शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार व साध-संगत मौजूद रही। साध-संगत ने ‘सचखंडवासी सुखदेव इन्सां अमर रहे’ के नारे लगाकर व सैल्यूट कर उनकी देह को फूलों से सजी गाड़ी में रूखस्त कर दिया। इससे पूर्व उनकी अर्थी को कंधा देने की रस्म उनकी बहन भोली कौर, कर्मजीत कौर इन्सां, भतीजी सुखप्रीत कौर इन्सां व भांजी रानी इन्सां ने निभाई। सचखंडवासी सुखदेव सिंह इन्सां गांव सिंघपुरा के तीसरे शरीरदानी के रूप में हमेशा स्मरणीय रहेंगे।

Dead body of soldier 'Sukhdev Singh Insan' sachkahoon

सेवानिवृत होते ही जुड़ गए थे डेरा सच्चा सौदा से

सुखदेव सिंह इन्सां 1975 में आर्मी में सिख रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। उनकी ड्यूटी रांची, नेपाल बॉर्डर, बीकानेर, लेह लद्दाख, सांभा व मिल्ट सहित अन्य जगहों पर रही। आर्मी में 16 वर्ष तक सेवाएं देने उपरांत वे 1991 में सेवानिवृत हो गए। जिसके बाद उन्होंने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से नाम शब्द ले लिया। अपने शालीन स्वभाव के चलते वे सभी के चहेते थे। सुखदेव सिंह इन्सां फौज से तो सेवानिवृत हो गए, लेकिन वे पूज्य गुरु जी द्वारा मानव हित में गठित शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग में भर्ती हो गए। जिसके बाद वे ब्लॉक में 5 प्रेमी व गांव के भंगीदास सेवादार भी रहे। मौजूदा समय में वे ब्लॉक श्री जलालआणा साहिब में 25 मेंबर की सेवा कर रहे थे।

पत्नी से कहा- ‘मेरा शरीरदान जरूर करवा देना’

सुखदेव सिंह इन्सां ने शरीरदान करने का प्रतिज्ञा पत्र भरा हुआ था। उनकी कोई संतान न होने के चलते उन्होंने अपनी पत्नी अमरजीत कौर इन्सां से कहा था कि मेरे मरणोपरांत मेरा शरीरदान जरूर करवा देना। ताकि मेरा मृत शरीर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के काम आ सके। अपने पति की इस अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए अमरजीत कौर इन्सां ने उनकी मृत देह मेडिकल शोध कार्यों हेतु दान कर दी। उनकी पत्नी ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा में उनका विश्वास अडोल था। उन्होंने चोला छोड़ने से 2 दिन पूर्व ही कहा था कि उसकी मृत देह दान जरूर करनी है। किसी ने रोने-धोने की वजाए सुमिरन करना है। उन्होंने इलाही नारे के साथ देह का त्याग कर दिया।

समाजसेवा में रहता था अह्म योगदान

सुखदेव सिंह इन्सां पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाते थे। वे ब्लॉक में सेवा के अलावा कोलायत, उदयपुर, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य दूर-दराज क्षेत्रों में भी सेवा कार्यों में भाग लेते रहे। पावन अवतार माह के उपलक्ष्य में वे अपनी पत्नी के साथ अपने स्तर पर जरूरतमंद लोगों मेंं वस्त्र व बच्चों में स्टेशनरी का वितरण करते थे। ब्लॉक भंगीदास सुरजीत सिंह इन्सां ने बताया कि सुखदेव इन्सां ब्लॉक के कर्मठ सेवादारों में गिने जाते थे। उन्हें जब भी सेवा का मैसेज मिलता वे अन्य कार्य छोड़कर सेवा को तव्वजो देते थे। उनकी कमी पूरे ब्लॉक को हमेशा महसूस होगी।

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