देशवासी अपने आपको मुर्गी न समझें, क्या समझें?
जिस देश में सरकार व बैंकर्स ने देश के ईमानदार करदाताओं व बचतकर्ताओं का मजाक बनाकर रख दिया हो तब उस देश में नागरिक अपने आपको एक मुर्गी से ज्यादा समझें भी तो क्या समझें? क्योंकि कभी कर्ज लेकर उद्योगपति भाग जाते हैं, कभी पूरा बैंक ही धराशायी हो जाता है।
ईमानदारी के अभाव में बस्तियां बसी, इंसान उजड़ा
ईमानदारी दिवस राजनीतिक झूठों, फरेब एवं धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए एक अभियान है, आम जनजीवन में बढ़ती अनैतिकता एवं बेईमानी, राजनेताओं के बढ़ते झूठ एवं व्यवसाय में अनैतिकता एवं अप्रामाणिकता ने जीवन को जटिल बना दिया है । उन्नत एवं शांतिपूर्ण जीवन के लिये ईमानदारी आधारभूत तत्व है।
मानवता को समर्पित 72 साल Dera Sacha Sauda
डेरा सच्चा सौदा रूहानी स्थापना दिवस व
‘जाम-ए-इन्सां गुरू का’ की वर्षगांठ पर विशेष
जब-2 पृथ्वी पर पाप बढ़ते हैं संत-सतगुरु इन्सान के चोले में अवतार धारण करते हैं और भूली-भटकी रूहों को अपनी दया मेहर से समझाकर वापिस निज देश ले जाने के काबिल बनाते हैं। ...
सही दिशा में बढ़ें
कोई भी काम आनन-फानन में शुरू करने के बजाय हमें पहले उसके हर पहलू पर गंभीरता से सोच लेना चाहिए। आपकी दिशा सही होगी, तभी मेहनत रंग लाएगी।
कोरोना विरुद्ध ड्यूटी कर रहे कर्मवीरों के स्वास्थ्य का रखें ध्यान
कोरोना योद्धाओं का स्वास्थ्य भी देश के लिए सुरक्षा का मुद्दा है। यदि ये योद्धा स्वस्थ रहेंगे फिर ही वे लोगों को कोरोना से बचा सकेंगे। विशेष रूप से पुलिस कर्मचारी कुछ बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर उनके घर में केक देकर आए। बच्चों के प्रति पुलिस कर्मचारियों का स्नेह व भावना सराहनीय है लेकिन महामारी के दौर में इस प्रकार का संपर्क किसी खतरे से भी खाली नहीं।
अब बड़ा सवाल, लॉकडाउन बढ़ेगा या…नहीं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते सोमवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो चर्चा की है। वीडियो चर्चा और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी लॉकडाउन का सिलसिला जारी रह सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक चूंकि कोरोना संक्रमितों की संख्या मेंं लगातार बढ़ोतरी हो रही है, उसके मद्देनजर पूरी तरह लॉकडाउन हटाना खतरनाक साबित हो सकता है।
समाज का संकट
महर्षि बोले, ' जिस तरह जीर्ण-शीर्ण शरीर को एक वैद्य बचा सकता है उसी तरह विचारक और शिक्षाशास्त्री जीर्ण-शीर्ण मस्तिष्क को बचा सकते हैं। आज समाज को ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है।
जिंदगी की जंग में आर्थिक कुर्बानी छोटी
नि:संदेह आर्थिकता किसी देश की रीढ़ होती है लेकिन आर्थिकता भी तो मानव समाज के लिए है। बिना मानव कारें, कोठियां व उच्च स्तरीय रहन-सहन किस काम का?
बेजुबान पशुओें के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता
बेजुबान पशुओं के रखरखाव और उनकी सेहत के प्रति मौजूदा समय की भौगोलिक परिस्थितियों में खासा बदल आ चुका है। समाज ने जब से पशुधनों को नकारना शुरू किया तभी से तमाम किस्म के पशुओं की प्रजातियां भी लुप्त हो गई हैं।
शिक्षा का लक्ष्य
यूक्लिड ने कहा- शिक्षा आत्मसमृद्धि का मार्ग है। उसे कभी भौतिक लाभ के तराजू में नहीं तौलना चाहिए और वह जहां से जिस मात्रा में मिले, उसे आत्मीयता से ग्रहण करना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का भविष्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने कार्यों से विश्व स्वास्थ्य और रोग का प्रशासन संभाला है और वह विभिन्न देशों और संगठनों के बीच निगरानी मानदंडों और मानकों के प्रवर्तन और समन्वय का कार्य कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को राजनीति से बिल्कुल मुक्त रखा जाना चाहिए ।
अपनी-अपनी नींद
सर्दी का मौसम था। एक राजा अपने महल की खिड़की से बाहर का दृश्य देख रहा था। शाम ढलने को थी। तभी एक साधु आया और महल के सामने एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसके बदन पर एक लंगोटी को छोड़कर और कोई कपड़ा नहीं था। राजा को उस पर दया आ गई। राजा ने तुरंत एक नौकर के हाथ ...
शराब जरूरी नहीं, स्वास्थ्य जरूरी
कोविड-19 में डब्ल्यूएचओ एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि शराब का सेवन कोविड-19 के मरीज को ज्यादा मुश्किल में डालने वाला है, क्योंकि शराब से व्यक्ति की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता घटती है।
खुश हैं वन्य जीव और प्रकृति मुस्काने लगी
कोरोना के कारण तालाबंदी से पिछले 33 दिनों की अवधि ने घरों में कैद मानवीय जीवन में आये बदलाव से प्रकृति को पुन: नवल रूप धारण करने का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है। संचार के तमाम संसाधनों में चित्र और समाचार प्रकाशित प्रसारित होते रहे कि अब किस प्रकार प्रकृति खिली-खिली नजर आ रही है।
प्रेरणास्त्रोत: विचार बदलो
किसी द्वारा अच्छा कहने पर प्रसन्न न होंगे और किसी के कष्ट देने पर दुखी भी न होंगे। बाहरी जगत का मोह त्यागकर आंतरिक जगत में विचरण करने वाला व्यक्ति ही एक सच्चा भक्त बन सकता है।