जरूरतमंद महिला के लिए फरिश्ता बन पहुुंचे ब्लॉक नाभा के डेरा श्रद्धालु

बुजुर्ग महिला को औलाद ने ठुकराया, डेरा श्रद्धालुओं ने अपनाया

  • ब्लॉक नाभा की साध-संगत ने उठाया मजबूर महिला के कूल्हे के ऑपरेशन का बीड़ा
  • पूज्य गुरू जी की दया मेहर से पूरी तरह सफल रहा कूल्हे का ऑपरेशन

नाभा। (सच कहूँ/तरूण कुमार शर्मा) शाही शहर नाभा की साध-संगत द्वारा एक ऐसी जरूरतमंद बुजुर्ग महिला का हाथ थामा, जिसे उसकी अपनी ही औलाद ने ठुकरा दिया था। ब्लॉक नाभा की साध-संगत द्वारा न सिर्फ इस मजबूर महिला के इलाज का बीड़ा उठाया गया बल्कि कड़ाके की ठंड में उसकी देखभाल भी की गई। जानकारी के अनुसार ब्लॉक शहरी भंगीदास और शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग जिम्मेवार ने सांझे तौर पर बताया कि संबंधित महिला का नाम लाभ कौर इन्सां पत्नी नछत्तर सिंह है, जिसके पति की मौत हो चुकी है। उसके दो लड़के भी हैं, जो कि शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं परंतु उन्होंने अपनी माता की देखभाल और इलाज करवाने से मुंंह फेर लिया है।

अपनी औलाद की बेकद्री से परेशान होकर मौजूदा समय में उक्त महिला लाभ कौर इन्सां कूल्हे की बीमारी से पीड़ित है, जिसे किसी जानकार महिला ने नाभा के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया था। पीड़ित महिला लाभ कौर इन्सां की अपनी बहन दर्शना देवी भी नाभा में ही रहती है। लाभ कौर इन्सां पिछले 6 महीनों से कूल्हे की बीमारी से पीड़ित है और चारपाई पर है। उसके बेटों ने उसकी जायदाद तो बेच दी परंतु जब समय माता के इलाज और संंभालने का समय आया तो कलियुगी औलाद ने अपना मुंह फेर लिया।

लाभ कौर इन्सां डेरा सच्चा सौदा के साथ जुड़ी हुई है, जिसकी ऐसी हालत संबंधी जब ब्लॉक नाभा के जिम्मेवारों को पता चला तो उन्होंने आपसी सहमति से जरूरतमंद महिला के ईलाज की जिम्मेवारी उठाई। इस मौके 25 मैंबर और ब्लॉक भंगीदास राजेश इन्सां, 45 मैबर गुरबचन इन्सां, रेनूं इन्सां, कुलदीप इन्सां, रणजीत इन्सां, ब्रिज इन्सां ने बताया कि शुक्रवार को लाभ कौर इन्सां का कूल्हे का आॅपरेशन पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की दया मेहर रहमत से नाभा के सिविल अस्पताल से करवाया गया है, जो कि पूरी तरह सफल रहा है। उक्त महिला के आॅपरेशन के लिए ब्लॉक की साध-संगत ने पूरा खर्च उठाया है।

क्या कहती हैैं पीड़ित महिला लाभ कौर इन्सां

लाचारी भरी जिन्दगी से राहत की तरफ बढ़ रही लाभ कौर इन्सां ने कहा कि दुनियावी रिश्तों ने जिस समय साथ छोड़ा तब उस समय रूहानी रिश्तों रूपी साध-संगत का सहयोग किसी फरिश्ते से कम नहीं लगा। उसने कहा कि जिस तरह पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जिन्दगी के आखिरी पड़ाव में भी उसके इलाज के लिए साध-संगत को प्रेरित किया है, वह रहती जिन्दगी तक सतगुरू का परोपकार नहीं भूलेगी।

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