गंग कैनाल की सफाई में लोगों के अंधविश्वास के निकल रहे हैं ढेर

श्रीगंगानगर (सच कहूँ न्यूज)। श्रीगंगानगर जिले को सरसब्ज और पेयजल आपूर्ति करने वाली बड़ी नहर परियोजना गंग कैनाल की वार्षिक साफ-सफाई में लोगों के अंधविश्वास की गंदगी के ढेर भी निकल रहे हैं। (Sri Ganganagar) पंजाब-राजस्थान सीमा पर अवस्थित खखां हैड से लेकर अंतिम छोर के डाबला हैड तक दर्जनों पोकलेन तथा जेसीबी मशीनों से डिसिल्टिंग, बरम कटिंग और पटरियों पर उगी झाड़ियों को साफ करने का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। इस अभियान में पोकलेन और जेसीबी मशीनों से जहां नहर की डिसिल्टिंग की जा रही हैं, वही बड़ी मात्रा में बरेती भी निकाली जा रही है, लेकिन इसके साथ लोगों द्वारा नहर में फेंकी गई वस्तुओं की भरमार मिल रही है। इनमें ज्यादातर पूजन और धार्मिक अनुष्ठान की सामग्री के साथ साथ बिस्तरों और कपड़ों की गठरियां भी शामिल हैं।

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यह देख कर अभियान की देखरेख कर रहे गंग कैनाल प्रोजेक्ट के चेयरमैन हरविंदर सिंह गिल बड़े हैरान हैं। उन्होंने आज श्रीगंगानगर- हनुमानगढ़ मार्ग पर गांव नाथांवाली पुल का अवलोकन किया। ब्लूमिंग डेल्स इंटरनेशनल स्कूल के समीप पुल के दोनों तरफ पोकलेन मशीन से गंदगी निकालने का दृश्य दिखाते हुए हरविंदर गिल ने बताया कि अन्य वस्तुओं के साथ-साथ पूजन की सामग्री भी बड़ी तादाद में लोगों ने नहर में फैंकी है। यही नहीं लोग अंधविश्वास के चलते अपने दिवंगत परिवारजन के बिस्तर और कपड़े तक नहर में फेंक रहे हैं। बिस्तर और कपड़ों की गठरिया निकल रही हैं। उन्होंने कहा कि यह अंधविश्वास की हैरान कर देने वाली पराकाष्ठा है। लोगों को कब समझ में आएगी की नहर का पानी इनसे कितना प्रदूषित होता है। बेहतर यह है कि लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं और मयार्दाओं का ध्यान रखते हुए ऐसी वस्तुओं का किसी और तरीके से निस्तारण करें ना कि नहर में फेंक कर। नहर का पानी जहां किसान सिंचाई के लिए खेतों में उपयोग करता है, वही शहरी और ग्रामीण लोग जल प्रदाय योजनाओं के मार्फत इसी पानी का उपयोग आम लोग खुद के पीने के लिए भी करते हैं।

गौरतलब यह है कि इसी नाथवाली पुल के पास से ही श्रीगंगानगर शहर की सबसे बड़ी वाटर वर्क्स परियोजना के लिए पानी दिया जाता है। हालांकि पानी शोधित करके श्रीगंगानगर शहर की लाखों की आबादी को पीने के लिए सप्लाई होता है, लेकिन यह भी शाश्वत सत्य है कि पानी में फिर भी प्रदूषित कणों की मात्रा रह ही जाती है, अगर इस तरह की गंदगी लोग नहर में डालते रहेंगे। उल्लेखनीय यह भी है कि श्रीगंगानगर शहर की अनेक संस्थाएं पंजाब से नहरों में आ रहे प्रदूषित पानी को लेकर तो पांच-छह वर्षो से हाय तौबा मचा रही हैं। राजस्थान-पंजाब और यहां तक कि केंद्र सरकार तक को इसके लिए कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती,लेकिन यही के लोग खुद ही नहर के पानी को गंदा कर रहे हैं। इसकी तरफ उनका कोई ध्यान नहीं है। यह तो वही कहावत हुई की बगल में छोरा नगर में ढिंढोरा।

इनाम और जुर्माना

प्रोजेक्ट चेयरमैन हरविंदरसिंह गिल ने बताया कि गंग कैनाल की मुख्य शाखा, इसकी मुख्य वितरिकाओं तथा हैडों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे। इन पर लिखा जाएगा कि-अगर कोई नहर के पानी को प्रदूषित करते हुए पकड़ा गया तो उसे 5 हजार रुपए का जुमार्ना लगाया जाएगा। कोई व्यक्ति किसी को नहर में गंदगी डालते हुए पकड़वाएगा उसे 500 रुपए इनाम दिया जाएगा। नहर में गंदगी डालते हुए शख्स की फोटो/वीडियो तथाह उसके वाहन की नंबर सहित फोटो/वीडियो भेजने के लिए चेतावनी बोर्ड पर बकायदा व्हाट्सएप नंबर लिखे जाएंगे। दोषी व्यक्ति के खिलाफ संबंधित थाने में अपराधिक मुकदमा भी दर्ज करवाया जाएगा। पिछले वर्ष नाथांवाली के पास ही गंग कैनाल का पानी प्रदूषित किए जाने को लेकर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ सदर थाना में मुकदमा भी दर्ज करवाया गया था।

15 अप्रैल तक बंदी

वार्षिक रखरखाव और मरम्मत कार्य के लिए गंग कैनाल में इस मर्तबा 22 मार्च से पंजाब से पानी की बंदी ली गई है जो 15 अप्रैल तक चलेगी। प्रोजेक्ट चेयरमैन ने बताया कि वर्तमान में चल रही पानी बंदी के दौरान सारा फोकस खखां हैड से डाउनस्ट्रीम डाबला हैड तक है। खखां से शिवपुर और शिवपुर से कालूवाला हैड तक नहर में काफी मात्रा में बरेती जमी है। इसे निकालने की बकायदा नीलामी आयोजित की गई। नीलामी से होने वाली आय से ही श्रीगंगानगर जिले में गंगा कैनाल की मुख्य शाखा की अंतिम छोर डाबला हैड तक सफाई करवाई जा रही है।

नहर तल से जहां गंदगी निकाली जा रही है, वही किनारों से बरम कटिंग तथा पटरियों से झाड़-झाड़ियों(जंगल) को हटाया जा रहा है। इस काम पर दर्जनों पोकलेन और जेसीबी मशीनों को लगाया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ पुलों के नीचे तो इतनी रेत और गंदगी जम गई थी कि पानी का निकलना ही मुश्किल हो रहा था। लगभग 80 प्रतिशत तक पुल ब्लॉक हो गए थे। उल्लेखनीय है कि 5-6 वर्ष पहले तक जल संसाधन विभाग यह सारा कार्य खुद करवाता था, लेकिन बाद में यह काम प्रोजेक्ट चेयरमैन को सौंप दिया गया।

इस काम पर खर्च होने वाली राशि की व्यवस्था नहर से रेत निकालने की नीलामी से प्राप्त की जाती है।श्री गिल ने बताया कि पिछले वर्ष पानी की बंदी के दौरान पंजाब क्षेत्र में आरडी 45 से खखां हैड तक सफाई करवाई गई थी। इस बार खखां से अंतिम छोर डाबला हैड तक सफाई करवाई जा रही है। पंजाब क्षेत्र में कुछ स्थानों पर नहर के किनारों पुलों की मरम्मत के साथ-साथ हैडों की मरम्मत का काम चल रहा है।

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